हृदय के कक्षों (chambers) को ढकने वाली झिल्ली या कला (membrane) को एंडोकार्डियम (endocardium) कहा जाता है और इसमें सूजन हो जाने पर बनें रोग को एंडोकार्डिटिस (endocarditis) कहा जाता है।
इसमें हृदय का माइट्रल वॉल्व ( mitral valve) प्रभावित होता है। माइट्रल वाल्व को द्विवलनी कपाट (bifocal valve) भी कहा जाता है। माइट्रल वॉल्व दो वाल्वों से बना होता है और बाएं आलिंद और निलय के बीच में स्थित होता है। इस वाल्व में भी सूजन आ जाती है, जिससे रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है।
माइट्रल वाल्व संकीर्णन:-
जब एंडोकार्डियम की सूजन ठीक हो जाती है लेकिन माइट्रल वाल्व के छिद्र का संकुचन बना रहता है, तो इस स्थिति को माइट्रल वाल्व संकीर्णन (mitral valve stenosis) कहा जाता है।
माइट्रल वाल्व असमर्थता -
जब एंडोकार्टिटिस के कारण माइट्रल वाल्व इतना विकृत हो जाता है कि यह पूरी तरह से बंद नहीं हो पाता है, तो इस स्थिति को माइट्रल वाल्व असमर्थता कहा जाता है। कुछ रोगियों में माइट्रल वाल्व का सिकुड़ना और असमर्थता एक साथ पाई जाती है।
हृदय कपाटों का कैल्सीभवन (Calcification of valves)-
जैसे-जैसे एंडोकार्टिटिस की बीमारी पुरानी और कठिन होती जाती है, तो कभी-कभी वाल्व कैल्सीफाइड हो जाते हैं और वे सख्त हो जाते हैं। ऐसे में सर्जरी की जरूरत होती है।
अन्तर्हृद्शोथ का कारण (The cause of Endocarditis):-
यह रोग मुख्य रूप से आमवाती बुखार के कारण होता है और आमतौर पर बच्चों और युवा लोगों में होता है, लेकिन यह किसी भी उम्र वाले लोगों में हो सकता है। यह रोग गठिया (गाउट) को तेज औषधियों से दबाने पर भी उत्पन्न होता है।
अन्तर्हृद्शोथ (Endocarditis) के उपचार के लिए होम्योपैथिक दवाएं -
एकोनाइट 30 -
जब छाती और हृदय क्षेत्र में अचानक चुभने वाला दर्द, घबराहट, बेचैनी और बुखार जैसी समस्या होने लगे तो इसे कुछ दिन के लिए दें, आराम मिलने पर दवा बंद कर दें।
स्पाइजेलिया 30-
जब दिल बहुत जोर से धड़कता है, रोगी कभी-कभी अपने दिल की धड़कन को स्पष्ट रूप से सुनता है, यह धड़कन कपड़ों के हिलने-डुलने हुए भी दिखाई देती है, गहरी सांस नहीं ले सकता, अपनी दाहिनी ओर ही लेट सकता है, एक ऊंचा तकिया लगाना चाहता है, इसमें सुई गढ़ने जैसा दर्द होता है। नींद में भी रोग बढ़ता है, बैठने और आगे झुकने से दर्द बढ़ता है, पीछे झुकने से कम होता है। इस दवा को दिन में 3 बार लें।
काली कार्ब 30 -
आगे की ओर झुककर बैठने और छाती का भार बाजुओं पर रखने से दर्द व चुभन होता है। इस दवा को दिन में तीन बार लेने से रोग ठीक हो जाता है।
लैकेसिस 200-
दिल के ऊपरी हिस्से में धड़कन जैसा दर्द होता है, घबराहट होती है, ऑक्सीजन की कमी से होंठ और शरीर नीला पड़ जाता है। ऐसा लगता है कि दिल अपनी जगह नहीं समा रहा है, गले, पेट व हर जगह कपड़े ढीले रखने पड़ते हैं, सोने और सोने के बाद बीमारी बढ़ जाती है। इस दवा को दिन में 3 बार लें।
काल्मिया 30 -
गठिया और वात रोग को बाहरी लेप से उपचारित करने पर रोग हृदय को जकड़ लेता है और हृदय रोग के लक्षण प्रकट होते हैं। हृदय क्षेत्र में असहनीय दर्द होता है, कभी-कभी ऐसा दर्द हृदय क्षेत्र में होता है कि रोगी सांस लेना बंद कर देता है, सांस नहीं ले पाता है। बुखार भी आता है, नाड़ी बहुत धीमी हो जाती है, हृदय बहुत कमजोर हो जाता है, हृदय जोर से धड़कता है, आगे झुकने से धड़कन तेज हो जाती है, बाएं हृदय से दर्द हाथ तक नीचे की ओर फैल जाता है। इस दवा को दिन में तीन बार लेने से रोगी स्वस्थ हो जाता है।
नाजा टी 30-
संक्रामक रोग के बाद अन्तर्हृद्शोथ, हृदय के ऊपर की जगह में घबराहट होती है, हृदय पर बोझ जैसा महसूस होता है, अधिक धड़कन होती है, साथ ही हृदय क्षेत्र में सुई चुभने वाला दर्द होता है। माथे और कनपटियों में दर्द। अनियमित नाड़ी, निम्न रक्तचाप की स्थिति में इस दवा को दिन में तीन बार लेने से रोगी स्वस्थ हो जाता है।
Conclusion:-
हृदय हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। इसलिए इसकी सुरक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें और किसी भी तरह की लापरवाही न करें।
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